रोगी के शरीर में कौन-सी व्याधि बढ़ी हुई है, कौन से तत्व घट बढ़ गए हैं? उनकी पूर्ति और शरीर के संतुलन को साधने के लिए किन औषधियों की आहुति दी जानी चाहिए? इस तरह के विवेक विवेचन से आहुतियां दिलाकर हवन कराया जाता था । भावप्रकाश, निघंटु एवं अन्य आयुर्वेद ग्रंथों में यज्ञ-चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली जिन औषधियों को प्रमुखता दी गई है, उनमें अगर, तगर, गुग्गुल, ब्राह्मी, बड़ी इलायची, पुनर्नवा, नागकेसर, चंदन, कपूर, देवदार और मोथा आदि मुख्य हैं। सभी औषधियां समान मात्रा में ली जाती हैं। इन्हें कूट-पीसकर इनके दसवें भाग के बराबर शक्कर और उतना ही घी मिलाकर हवन करने से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। वैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा भी अब यह सिद्ध हो चुका है। आवश्यकतानुसार दिन में तीन बार और रात को एक-दो बार किसी पात्र में अग्नि रखकर थोड़ी-सी औषधीय हवन सामग्री थोड़ी देर के लिए रोगी के निकट धूप की भांति जलाई जा सकती है। हवन करते समय तैयार औषधियों में दसवां भाग शर्करा एवं दसवां भाग घृत मिला लेना चाहिए। कोई औषधि या वस्तु अधिक महंगी हो अथवा अनुपलब्ध हो, तो उसकी पूर्ति अन्य दूसरी औषधियों की मात्रा बढ़ाकर की जा सकती है ।
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May
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