बढ़ता प्रदूषण कई तरह की समस्याएं बढ़ा रहा है । मौसम चक्र में परिवर्तन और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव इसके कारण देखे जा रहे हैं । प्लास्टिक कचरा बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए उपाय तो किए जा रहे हैं लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है । हिमाचल प्रदेश में भी हर दिन 200 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है, जिसमें से 60 टन का प्रयोग सड़कें बनाने व उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जा रहा है । सरकार ने लोगों से 75 रुपये प्रति किलो की दर से प्लास्टिक कचरा खरीदने की योजना चलाई थी, जिसके सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं । चार साल में प्रदेश में इस योजना के तहत 2,66,714 किलोग्राम कचरा सरकार के पास लोगों ने जमा करवाया । जिससे 175.018 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ । सड़क निर्माण में प्लास्टिक के प्रयोग से लागत में भी कमी आई है । शहरी क्षेत्रा में लोग जागरूक हो रहे हैं और गीले व सुखे कचरे को अलग अलग रख रहे हैं । सूखे कचरे से कमाई भी कर रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी जागरूकता का अभाव है । कचरे के निष्पादन के लिए गांवों में कोई ठोस व्यवस्था नहीं है । ग्रामीण कचरे को जला देते हैं या नदी-नालों में फेंक देते हैं । ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए । लोगों को प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए गंभीर होना होगा । पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हर व्यक्ति को योगदान देना होगा । सरकारी स्तर पर भी जागरूकता अभियान में तेजी लाने के साथ कचरे के निस्तारण के उपायों में तेजी लानी होगी । ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे के निस्तारण के लिए अधिक प्रयास करने होंगे । पहाड़ों का सौंदर्य बरकरार रहे, यह जिम्मेदारी हम सबको निभानी होगी ।
05
Jun
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