सनातन संस्कृति में माँ गंगा जी को मोक्षदायिनी और पवित्र नदी माना गया है! पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दस दिव्य योगों में माँ गंगा जी का धरा पर अवतरण हुआ था! उनके प्राकट्य दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है! मान्यता है कि इस दिन गंगा जल में स्नान करने से मनुष्य के दस प्रकार के पापों का क्षरण होता है! शास्त्रों में दस प्रकार के पापकर्मों में तीन दैहिक, चार वाणी के द्वारा किए हुए व तीन मानसिक पाप सम्मलित हैं!
भारतीय जनमानस में माँ गंगा जी के लिए असीम श्रद्धा और मान्यता है! माँ गंगा जी हमारे लिए मात्र नदी नहीं, अपितु अमृतत्व का प्रवाह है! ऐसा माना जाता है कि सूर्य की किरणों से निकलने वाले जीवन तत्व को अवशोषित करने की सामर्थ्य केवल गाय माता और गंगा जी में है! इसलिए गाय माता और माँ गंगा जी का स्मरण, पूजन और स्पर्श करने से हमारे देवता और पितृ स्वत: तृप्त हो जाते हैं!
माँ गंगा जी त्रय योग सिद्धि कारक हैं! मान्यतानुसार, वह परमपिता ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर ज्ञान योग, भगवान विष्णु जी के चरणों का स्पर्श करते हुए भक्ति योग और भगवान शिव जी की जटाओं से धरा धाम पर अवतरित होती हैं, इसलिए वैराग्य योग सिद्द करती हैं! मृत्युलोक में माँ गंगा जी का अवतरण ही पतितों के उद्धार के लिए ही हुआ है! गंगाजल में मृतकों की अस्थि प्रवाहित कर परिजन भोग, भाग्य और मुक्ति को लेकर निश्चिंत हो जाते हैं!
आएं हम गंगा दशहरा के पावन अवसर पर इसकी अविरलता सुनिश्चत करने के लिए सामूहिक प्रयत्न करें, क्योंकि माँ गंगा जी सबकी हैं! हालांकि नमामी गंगे योजना के माध्यम से माँ गंगा जी की स्वच्छता और अविरलता के लिए अनेक सार्थक प्रयत्न किए जा रहे हैं, लेकिन माँ गंगा जी की पवित्रता बनाए रखने के लिए सहभागिता एवं जन – जागरण की आवश्यकता है! गंगा दशहरा पर माँ गंगा जी की स्वच्छता के लिए मेरा भी योगदान अवश्य हो यह संकल्प एवं उत्तरदायित्व अगर हम लेते हैं तो निश्चित ही मनुष्यता के लिए उत्तम रहेगा *जय माँ गंगा जी
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